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[[إن] في مقام التعليل]

يجوز فتح همزة [إن] وكسرها في مقام التعليل: الفتح على تقدير لام العلة، والكسر على أن التعليل بجملة [إن] ومعموليها. والكسر أبلغ في التعليل.

في العكبري ١: ٤٢ في الحديث عن قوله تعالى:

{ولا تتبعوا خطوات الشيطان إنه لكم عدو مبين} ٢: ١٦٨.

«إنما كسرت الهمزة، لأنه أراد الإعلام بحاله، وهذا أبلغ من الفتح؛ لأنه إذا فتح الهمزة صار التقدير: لا تتبعوا خطوات الشيطان لأنه لكم عدو. ومثله: لبيك إن الحمد لك. كسر الهمزة أجود، لدلالة الكسر على استحقاقه الحمد في كل حال، وكذلك التلبية». البرهان ٣: ٩٦ - ٩٧.

كسر همزة [إن] في مقام التعليل كثير جدا في القرآن.

انظر هذه المواضع ٢: ٢٠، ٧٠، ١٠٩، ١١٠، ١٤٨، ١١٥، ٢: ١٤٣، ١٥٣، ١٧٣، ١٨١، ١٨٢، ١٩٠، ١٩٥، ١٩٩، ٢٢٢، ٢: ٢٣٧، ٣: ٩، ٣٧، ١٢٠، ١٥٥، ١٥٩، ١٦٥، ١٩٩، ٤: ١، ١١، ١٦، ٢٣، ٢٤، ٢٩، ٣٢، ٣٣، ٣٤، ٣٥، ٣٦، ٤: ٤٣، ٥٦، ٧٦، ٨٦، ١٠١، ١٠٢، ١٠٣، ١٠٦، ١٠٧، ١٤٠، ٥: ١، ٢، ٧، ١٨، ١٣، ٣٩، ٤٢، ٥١، ٦٧، ٨٧، ٦: ٨٣، ٩٩، ١٢٠، ٧: ٦٧، ١٢٨، ٨: ١٠، ١٧، ٤٦، ٥٨، ٦٩، ٩: ٤، ٥، ٧، ٤٠، ٧١، ٩٩، ١٠٢، ١٠٣، ١١٥، ١١٨، ١٢٠، ١٠: ٢١، ٨١، ١١: ٤٩، ٥٧، ٥٦، ٦١، ٨١، ٩٠، ١١٤، ١٢: ٨٨، ٤٧، ٥١، ١٥: ٨٦، ١٦: ٧٤، ٩١، ١١٦، ١٢٥، ١٢٨، ١٧: ٢٧، ٣٠، ٣١، ٣٦، ٣٤: ٥٣، ٥٧، ٧٨، ٨١، ١٠٧، ١٩: ٤٤، ٢٠: ١٥، ٢٢: ١، ١٧، ٣٨، ٢٤: ٣٠، ٤٥، ٥٣، ٦٢، ٢٥: ٦٥، ٢٨: ٢٦، ٧٦، ٧٧، ٢٩: ٦، ٢٠، ٣٢، ٤٥، ٦٢، ٣٠: ٦٠، ٣١: ١٣، ١٧، ١٨، ١٩، ٢٣، ٣٣: ١، ٢، ٥٣، ٥٥، ٣٥: ١، ٨، ٢٨، ٣٩: ٥٣، ٤٠: ٤٤، ٥٥، ٧٧، ٤٢: ٢٣، ٤٩: ١، ٩، ١٢، ٥١: ٥٨، ٥٣: ٣٢، ٥٨: ١، ٧، ٢١، ٥٩: ٧،

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